‘नकली बारिस’ से दिल्ली का प्रदुषण धोने की तैयारी, लेकिन इसके नुक्सान पता है? Fake Rain In Delhi

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fake rain in delhi

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Fake Rain In Delhi: “तानसेन मल्हार” गाते थे-तो बारिश होती थी, कोई आदमी मौसम बदल सकता है, यह मुहावरा हमारी स्मृति में एकलौता है। लेकिन अब सिस्टम बदल गया है साहब, 21 वीं सदी में अब प्लेन उड़ता है-बादलो में एक केमिकल डालता है और बारिश होने लगती है। अंग्रेजी भाषा में इसे ‘क्लाउड सीडिंग’ (Cloud Seeding) कहते है और हिंदी में ‘कृत्रिम बारिश’ (Fake Rain In Delhi)

Fake Rain In Delhi

प्रदुषण को लेकर, दिल्ली का हाल तो आप जानते ही है, जो हाल दिल का है- वही हाल दिल्ली का भी है। मतलब कि – ख़राब। दिल्ली में चारो ओर स्मोग की चादर के साथ प्रदुषण इस स्तर तक पहुंच गया है कि लोग ख़ास रहे है, आँखे जल रही है, लोगो के गले ख़राब, स्कूल बंद कर दिए गए है। ऐसे में सरकार भी – Odd-Even जैसे शार्ट टाइम के सलूशन की बात करती है। लेकिन अब एक Short Time Solution की बात चल रही है, वह है – क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) या हम कह सकते है कि आर्टिफीसियल बारिश (Artificial Rain)

Fake Rain Process (Cloud Seeding)

एक एयरक्राफ्ट में सिल्वर-आयोडिएड और कुछ दूसरे केमिकल के मिश्रण को पहले से मौजूद बादलो के ऊपर छिड़का जाता है। जिससे ड्राई आइस के क्रिस्टल बनते है। ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 ) को ही ड्राई आइस कहा जाता है। क्यूंकि यह बर्फ पानी नहीं बनती सीधा गैस बनकर उड़ जाती है। बादल की नमी इन्ही क्रिस्टल पर चिपकती है और बादल भारी हो जाने पर बारिश होने लगती है। (Fake Rain In Delhi)

Cloud Seeding से हर साल बारिश में लगभग 10% से 30% तक बढ़ोतरी हो सकती है और यह प्रोसेस किफायती है। लेकिन कृत्रिम बारिश के लिए भी सब कुछ इंसानो के हाथों में नहीं है क्यूंकि इसके लिए भी लगभग 40 फीसदी बादल और पर्याप्त नमी होनी जरुरी है, नहीं तो “नकली बारिश” नहीं कराई जा सकती।

हाल में, दुनिया की सबसे बड़ी क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी चीन में है।  इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात ने भी अपने प्रयोग कर लिए है। रूस, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीकी, सऊदी अरब समेत छोटे से बड़े देश बरसात करने की टेक्नोलॉजी में लगे हुए है। (Fake Rain In Delhi)

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दिल्ली में होगी नकली बारिश?

इस माहौल में बारिश होने से फायदा यह होगा कि प्रदुषण फैलाने वाले पार्टिकल्स बारिश के साथ निचे आ जायगे। अगर इजाजत मिलती है तो Fake Rain In Delhi करने के लिए यह तरीका अपनाया जायेगा। IIT कानपूर की टीम दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल रे और उप राज्यपाल V.K सक्सेना से मिल चुके है लेकिन अभी पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने भी रखा जायगा और दर्जनों विभागों की मंजूरी लेनी पड़ेगी।

मौसम विभाग ने 20 और 21 नवंबर की तारिक को कृत्रिम बारिश के लिए अच्छा बताया। इस दिन आसमान में बदल होंगे, बस उन्हें बरसाने के लिए तैयार करना होगा।

अगर दिल्ली एनसीआर में यह प्रयोग सफल रहता है तो , आगरा, मुंबई और इन जैसे कई शहरो में इसका इस्तेमाल हो सकता है। अभी जमीन पर एंटी स्मोग गन और पाइप्स के जरिये ही पानी छिड़का जा रहा है। (Fake Rain In Delhi)

कितना खर्चा आएगा

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार, के मुताबिक 300 वर्ग किलोमीटर के इलाके में बारिश कराने में लगभग 3 करोड़ की खर्च आने का अनुमान है।

क्या है नुक्सान

क्रत्रिम बारिश से सिर्फ फायदा ही नहीं बल्कि नुक्सान की भी आशंका है क्यूंकि कृत्रिम बारिश होगी तो सिल्वर आयोडिएड और ड्राई आइस भी गिरेगी। ये केमिकल जानवरो, जलाशयों और पोधो के लिए खतरनाक हो सकते है। इस कृत्रिम बारिश में भले ही मानव जाति को आधुनिकता दिखे लेकिन हम प्रकर्ति के छक्के के साथ तो छेड़खानी कर ही रहे है।

वैज्ञानिक बता रहे है कि इस प्रक्रिया से साल में आने वाले मौसम की पैटर्न भी बिगड़ सकता है।

नकली बारिश से अभी तो बच जायगे। लेकिन यह कोई प्रदूषण से छुटकारा पाने का कोई परमानेंट सलूशन नहीं है। उन चीज़ो को रोकना होगी , जिससे यह प्रदुषण स्तर बढ़ता है , जैसे- पराली को जलाना, कचरे को आग लगा कर जला देना, वाहनों से निकलने वाला धुआं।

 

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